News देखो analysis: झारखंड में इस बार का विधानसभा चुनाव राजनीतिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण साबित हो रहा है। एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच कांटे की टक्कर के साथ-साथ आपसी कलह से मतदाताओं में भी भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही है। कई प्रमुख सीटों पर गठबंधन के आंतरिक संघर्ष का फायदा बीजेपी को मिलता दिख रहा है, जिससे उनकी स्थिति मजबूत हो रही है। खासकर विश्रामपुर, धनवार, और छतरपुर जैसी सीटों पर जहां महागठबंधन के अंदर के मतभेद गहरे होते जा रहे हैं, बीजेपी हैट्रिक बनाने के इरादे से मजबूती से मैदान में डटी है।
विश्रामपुर: इंडिया गठबंधन में दो खेमों की लड़ाई
विश्रामपुर विधानसभा सीट पर इंडिया गठबंधन के भीतर खींचतान चरम पर है। कांग्रेस ने इस सीट पर अपने नेता सुधीर कुमार चंद्रवंशी को उम्मीदवार घोषित किया है, जो क्षेत्र में एक पुरानी पकड़ और लोकप्रियता रखते हैं। लेकिन इसके बावजूद, आरजेडी ने अपनी ओर से राम नरेश सिंह को मैदान में उतारकर गठबंधन के भीतर भ्रम और गुटबाजी को जन्म दे दिया।
सुधीर चंद्रवंशी कांग्रेस के एक मजबूत स्तंभ माने जाते हैं और विश्रामपुर में पार्टी के परंपरागत किले को फिर से मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। पिछले दो चुनावों से यह सीट कांग्रेस के हाथ से फिसल चुकी है, लेकिन सुधीर का कहना है कि इस बार वे कांग्रेस की खोई प्रतिष्ठा को दोबारा स्थापित करेंगे। सुधीर का अभियान क्षेत्र में जोर-शोर से जारी है, लेकिन आरजेडी के प्रत्याशी के चलते महागठबंधन के वोटों में बिखराव की आशंका बनी हुई है।
धनवार में अंतर्कलह का असर
धनवार विधानसभा में भी इंडिया गठबंधन के लिए चुनौतीपूर्ण स्थिति उत्पन्न हो गई है। जहां बीजेपी ने बाबूलाल मरांडी को फिर से टिकट देकर एक मजबूत दावेदार के रूप में पेश किया है, वहीं गठबंधन के भीतर भी दो पक्षों के बीच संघर्ष का लाभ बीजेपी को मिल सकता है। शुरुआत में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) ने निजामुद्दीन अंसारी को उम्मीदवार के रूप में उतारा, जबकि बाद में सीपीआई के राजकुमार यादव भी मैदान में आ गए। इससे गठबंधन के वोटों का विभाजन निश्चित माना जा रहा है, जो बाबूलाल मरांडी की स्थिति को और भी मजबूत कर सकता है।
छतरपुर में कांग्रेस-आरजेडी के बीच टकराव
छतरपुर सीट पर कांग्रेस ने राधाकृष्ण किशोर को मैदान में उतारा है, जो इस क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित नेता हैं और पांच बार विधायक रह चुके हैं। लेकिन आरजेडी ने यहां भी अपना दावा पेश करते हुए विजय राम को प्रत्याशी घोषित कर दिया, जिससे महागठबंधन के मतदाताओं में भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है। छतरपुर कांग्रेस के लिए एक मजबूत सीट रही है, और यदि कांग्रेस और आरजेडी के बीच सहमति नहीं बनती है, तो बीजेपी यहां से भी अपनी स्थिति मजबूत कर सकती है।
बीजेपी का हैट्रिक प्लान और महागठबंधन की चुनौती
बीजेपी इन चुनावों में लगातार तीसरी बार जीतने की योजना बना रही है। एनडीए को फायदा मिलता है जब इंडिया गठबंधन में मतभेद या गुटबाजी सामने आती है। विश्रामपुर में बीजेपी के वर्तमान विधायक रामचंद्र चंद्रवंशी अपनी तीसरी जीत की ओर देख रहे हैं और गठबंधन की आपसी कलह से उनके लिए राह आसान बन सकती है। अगर इंडिया गठबंधन इस समय एकजुट होकर अपने मतदाताओं को लामबंद करने में असफल रहा, तो बीजेपी की जीत का सफर और मजबूत हो जाएगा।
अंतिम उम्मीद: नामांकन वापसी
झारखंड विधानसभा चुनाव में नामांकन वापसी की अंतिम तारीख 30 अक्टूबर है। अगर आरजेडी इस दौरान अपने प्रत्याशी राम नरेश सिंह का नामांकन वापस लेती है, तो महागठबंधन के वोटों को एकजुट करना और बीजेपी को कड़ी टक्कर देना मुमकिन हो सकता है। यह निर्णय महागठबंधन के लिए इस महासंग्राम में जीत की दिशा तय कर सकता है, क्योंकि एकजुटता ही इस चुनाव में महागठबंधन को बीजेपी के मजबूत किले को चुनौती देने का मार्ग प्रशस्त कर सकती है।